हिन्दुस्थान!
क्या बात है हिन्दुस्थान की
क्या बात है हिन्दुस्थानी सभ्यता की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी दर्शन की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी अध्यात्म की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी वेद की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी वेदांत की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी उपनिषद् उफान की!
एक सनातन सुदृढ़ सुनहरी सुविचार पराकाष्ठा
अद्वितीय, आदिकाल से चल आज तक,
अनंत नितांत ही.
कैसा कैसा सनातन धर्म पालन
आज अभी अब भी वही प्राचीन द्वन्द
अच्छाई बुराई बीच जंग
जीतेंगे तो अंततः राम ही
यही सदीवी सनातन धर्म
सनातन धर्म विजय पताका रंग.
क्या बात है हिन्दुस्थानी संगीत की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी नृत्यों की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी काव्य की!
कहीं वाल्मीकि, कहीं वेद्ब्यास, कहीं तुलसीदास!
काव्य क्या खुले विहंगम गहन विचार आकाश
क्या क्या गगनचुम्बी काव्यकला इंदरधनुष!
रूपक और उपमाओं के पार
तारों सितारों से अम्बार!
क्या बात है हिन्दुस्थानी सनातन धर्म की!
क्या बात है हिन्दुस्थानी लोक की!
और सब सभ्यताएं नष्ट हुईं
कहीं मिस्र, कहीं रोम, कहीं यूनान
जैसे इतना ही काफी न था
प्रभु भी क्या क्या
प्रभु लीला खेल रचे!
सिकंदर को इधर ला
रणभूमि में हिन्दुस्थानी ही
शौर्य झलक दिखला चलता किया!
जग को मालूम हुआ
जगतगुरु रुतबा हिन्दुस्थान का
क्या बात है हिन्दुस्थान के
इस जन गण मन वरदान की!
फिर इस्लाम को इधर का रुख करवा
इक और ही नया खेल रचा
वो जो अल्लाह आगे कर कर
सब सब्र तोड़, ज़बर कर कर
सब से आगे होने को
उनको इसी भारतभूमि पर मात
गज़वा इ हिन्द का मलिआमेट
आज तक फंसे
वो धंसे अनुयायी
न जी सके जी के
न ही उन्हें मौत आई
बीच समुन्दर डुबकूं डुबकूं
दुनिया देखे तमाशा
कहाँ सनातन धर्म सभ्यता राम राम
कहाँ यह टैं टैं इस्लाम का
क्या मुकाबला?
कुछ भी न!
न जिएं न जीने दें
यह फूहड़ गंवार किस्में
और अभी कुछ और उपाय
लगे हाथ यह भी वहम निकल जाए
फिर से प्रभु लीला अंतर्गत
अँगरेज़ का हिंदुस्तान पर चढ़ाव
वो घुस आए जोर
पर थे साले ब्लडी चोर
दुनिया ने देखा सरे आम
उनका इधर मौत का सामान
वो भी अंततः भागे, मूर्ख, अभागे
साले ब्लडी विलायती चोर!
दिमाग के गधों से भी गए गुज़रे गधे!
चोरों पर मोर
क्या बात है हिन्दुस्थान की!
क्या बात है सजीव वैदिक प्राण की!
बड़ी ही जान संजीवनी
काल विजयी ही
क्या बात है तेरी
ओ हिन्दुस्थान !
तुझे सौ सौ सौ सौ सलाम
और भी कोटि कोटि प्रणाम।
अभी भी घमासान जारी
उस अँगरेज़ ने खूब कहा,
शेक्सपियर ने- दुनिया रंगमंच
सब आएँ जाएँ बारी बारी
पर तू ऐ हिन्दुस्थान!
क्या सभ्यता कोहिनूर
टिका सदियों से ज्यूं का त्यूं
बानूर, अंतरिक्ष में सूर्य यूं.
क्या बात है हिन्दुस्थान की!
आज खुद भटका भटकाया
अपनों ही के हाथों
लो, देखो यह खेल भी
अभी प्रभु लीला जारी
गद्दारों का बोलबाला लिए चढ़त
पर क्या परवाह
इतिहास साक्षी, आश्वस्त करे
देखते जाओ बस
अब अंतिम विजय की बारी
लोक! जुटे जुटो, डटो
कमर कसो, करो भारी भरकम तैयारी
क्या बात है हिन्दुस्थान की!
माँ भारती!
मातृभूमि!
वसुंधरा!
तेरे सपूत मर मिट लेंगे
मत रो माता लाल तेरे बहुतेरे
वो राणा, वो शिवा, वो तेग बहादुर रूह
वो गोबिंद, वो गोबिंद बाल गुरु गुरु
अभी भी हैं इधर उधर बिखरे रत्न
मत घबरा, वतन!
एक एक कर एकत्रित होने को
वो मर मिटेंगे
रणभूमि पर, क्या नव सति पद्मनियाँ
क्या रानी झाँसियां
क्या जौहर, क्या 'सारन्गति'
बाल बाल, बालाएं अबलाएं
मिट जाएंगे
आंच न आने देंगे
अपना दायित्व निभाएंगे
क्या बात है हिन्दुस्थान की!
भारत माता की आन की
भारतीय लोक की शान की
गायो एक गले से जान भर भर
वन्दे मातरम्
अपना देश, अपनी मति, अपनी माटी
अपना घर
डर! अरे! काहे का डर?
ठीक है गुमराह किया
लोक सत्यमार्ग से भटक गया
सुबह का भूला शाम घर
भूला न कहलाए
बस जरा सब्र
बस जरा सा और जोर
उखाड़ने को इधर से
सब का सब अवैदिक चोर -शोर -जोर
लगे हैं
कण कण कर
क़तरा क़तरा
बनाने को पहाड़ दरिया
पुनरुत्थान पुनरुत्थान का
गा गा कर
न साथी, बिलकुल न घबराना
वही साहिर गीत
साथी हाथ बढ़ाना
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